गुफ़्तगू है के उनको चमन चाहिए ,
दर ब दर उनको मेरा नमन चाहिए।
अश्क हैं न यहाँ आँख में थम रहे ,
हम गरीबों के तन पे कफ़न चाहिए।।
इब्तदा कब हुई , इन्तहा है कहाँ ,
अब भगीरथ में इक आचमन चाहिए।।
जो नही जानते इश्क़ में मर्शिया ,
मेरी गलियों में अब आगमन चाहिए।।
लूटना है मुझे प्यार से लूट लो ,
पर कटीले ,वो तिरछे नयन चाहिए।।
रोज़ कहते रहे इश्क़ कर लो मिया !
इश्क़ करने के ख़ातिर सनम चाहिए।।
वो हवस के पुजारी वहाँ हैं खड़े ,
चींथने के लिए इक बदन चाहिए।।
भस्म करना अगर हो उन्हें नारियों !
दिल में शोला , करों में अगन (अग्नि )चाहिए।।
मजलिसें चल रही हैं शहर दर शहर ,
अब मुझे इक शहर में अमन चाहिए।।
कई सालों रजिस्टर रहा मेज पे ,
तब समझ आया के उनको धन चाहिए।।
वो धरा पे रहेंगे नही इस कदर ,
हाँथ में आज स्टेटगन चाहिए।।
जीत लूँगा जहाँ ये अगर साथ दो ,
पर कदम दर कदम पे , कदम चाहिए।।
ज़िन्दगी मौज़ में अब बहाओ मेरी ,
आज कुदरत की मुझको रहम चाहिए।।
दर ब दर उनको मेरा नमन चाहिए।
अश्क हैं न यहाँ आँख में थम रहे ,
हम गरीबों के तन पे कफ़न चाहिए।।
इब्तदा कब हुई , इन्तहा है कहाँ ,
अब भगीरथ में इक आचमन चाहिए।।
जो नही जानते इश्क़ में मर्शिया ,
मेरी गलियों में अब आगमन चाहिए।।
लूटना है मुझे प्यार से लूट लो ,
पर कटीले ,वो तिरछे नयन चाहिए।।
रोज़ कहते रहे इश्क़ कर लो मिया !
इश्क़ करने के ख़ातिर सनम चाहिए।।
वो हवस के पुजारी वहाँ हैं खड़े ,
चींथने के लिए इक बदन चाहिए।।
भस्म करना अगर हो उन्हें नारियों !
दिल में शोला , करों में अगन (अग्नि )चाहिए।।
मजलिसें चल रही हैं शहर दर शहर ,
अब मुझे इक शहर में अमन चाहिए।।
कई सालों रजिस्टर रहा मेज पे ,
तब समझ आया के उनको धन चाहिए।।
वो धरा पे रहेंगे नही इस कदर ,
हाँथ में आज स्टेटगन चाहिए।।
जीत लूँगा जहाँ ये अगर साथ दो ,
पर कदम दर कदम पे , कदम चाहिए।।
ज़िन्दगी मौज़ में अब बहाओ मेरी ,
आज कुदरत की मुझको रहम चाहिए।।