लेखनी तू शान्त मत होना लड़ाई और भी है ......... |
तू युँ ही चलती चली चल
हार कर मत बैठ पल भर
आ गई है पास तो इक राह दे दे
स्वप्न कर साकार मेरी चाह दे दे
ऐ मेरे मन यूँ मचल मत हौंसला रख, कर पढ़ाई और भी है ।
लेखनी तू शान्त मत होना , लड़ाई और भी है ।।
बाज जैसे लक्ष्य पे बस ध्यान हो
तू नही यूँ सोच के सम्मान हो
जो तुझे करना है अपना कर्म कर
लोग पागल कह रहे , न शर्म कर
खुद को तू मजबूत करके कूद जा न देख, खाई और भी हैं
लेखनी तू शान्त मत होना लड़ाई और भी हैं
गिर, सम्हल, उठ जागती रह
स्वप्न तू पहचानती रह
यूँ नही खुद से मुकर तू
जा ज़रा सा सज - सँवर तू
हारना मत जिन्दगी से और सीढ़ी हैं चढ़ाई और भी हैं
लेखनी तू शान्त मत होना , लड़ाई और भी हैं ।।
तू सदा ये सोच रख उड़ना है तुझको
खुद के जीवन से अभी जुड़ना है तुझको
जाओ , ढूँढों , खोज लो मन्जिल तुम्हारी
है प्रतीक्षित लग रही सदियों से प्यारी
यूँ नही खुश हो अभी शुरुआत है बाकी , बधाई और भी हैं
लेखनी तू शान्त मत होना , लड़ाई और भी हैं ।।
सोच मत वीवाह की मत कैद हो
ताकि तेरे लक्ष्य न दुर्बेध हों
प्यार कर, वातावरण को देख तू
दे जहाँ को इक नया सन्देश तू
इक नये इतिहास का निर्माण कर प्यारे, सगाई और भी हैं
लेखनी तू शान्त मत होना लड़ाई और भी हैं ।।