यह एक यात्रा की घटना है इसमें जो भी पात्र हैं वो वास्तविक हैं और कुछ को मैं जानता हूँ कुछ अन्जान।
कल्यान रेलवे स्टेशन - (23/12/2018 - Sunday)
रिक्सा वाले भाई साहब - कहाँ जाना भाई बोलो, बताओ तो सही मैं छोड़ देता हूँ।
नील - सर वो तो सही है पर मुझे खुद को नहीं पता मुझे कहाँ जाना है ?
हाँ अगर आपके पास मोबाइल हो तो एक कॉल करके बता सकता हूँ कहाँ जाना और क्या करना है।
( तब तक दूसरा ग्राहक पाकर निकल लिया वो, दूसरे रिक्सा वाले से )
नील - हेल्लो, हेल्लो भाई साहब ! आपके पास मोबाइल है क्या ?
रिक्सा वाले भाई साहब - हाँ है, क्यों ?
नील - भइया एक कॉल करना है
रिक्सावाले भाई साहब - क्यों तुम्हारे पास मोबाइल नहीं है क्या ?
नील - है ना सर ! पर स्विच ऑफ़ है और मुझे एक बहुत जरुरी बात करनी है।
( ऊपर से नीचे तक देखते हुए )
रिक्सावाले - क्या नाम है ?
नील - नीलेन्द्र है भैया
रिक्सावाले - नहीं, नहीं पूरा नाम बताओ
नील - नीलेन्द्र शुक्ल " नील "
रिक्सावाले - ब्राह्मण हो ?
नील - जी हाँ।
रिक्सावाले - लगते नहीं हो यार Identity Card है क्या कोई ?
नील - इन्सान लग रहा हूँ या नहीं सर !
रिक्सावाले - भाई बुरा मत मानना लेकिन देखने में आतंकवादी भी इंसान ही लगते हैं।
नील - हाँ वो तो है सर, पर अभी आप मेरी सहायता कर रहें हैं या नहीं
रिक्सावाले - बेटा माफ़ करना पर इस मामले में मैं थोड़ा सचेत रहता हूँ, इसलिए मैं आपकी मदद नहीं कर सकता।
नील - Okay Okay Sir! No Problem Thank You ..
( ये सब सुनते हुए दूसरे भाई साहब ने कहा )
भाई साहब - किससे बात करनी है भाई?
नील - जिनके पास जाना है उन्हीं भाई साहब के पास।
भाई साहब - भाई लफड़े वाला नं. तो नहीं है ना
नील - नहीं सर !मैं आपके सामने ही बात करूँगा, नहीं तो एक काम करिये पहले आप बात करिये मैं बाद में कर लूँगा।
भाई साहब - लो भाई अब इतना भी शर्मिंदा न करो।
Second Scene -
नील - Hello, Hello हाँ सुरेन्द्र भाई
सुरेन्द्र - हाँ भाई, कौन ?
नील - मैं नीलेन्द्र, वो विवेक भाई ने आपसे बात की थी न मेरे बारे में
सुरेन्द्र - हाँ, हाँ नीलेन्द्र भाई नमस्कार, कहाँ हो आप ?
नील - मैं कल्यान स्टेशन पे खड़ा हूँ सर।
सुरेन्द्र - अच्छा ! पर यार अभी तो 4 ही बजे हैं और मेरी छुट्टी 8 बजे तक होगी
नील - कोई नहीं भाई तब तक मैं इधर - उधर घूमता हूँ, और हाँ ये नं. मेरा नहीं है। मेरा मोबाइल स्विच ऑफ है So I'll call you ..
सुरेन्द्र - ठीक है भाई! Okay .
Third Scene -
( Mobile भाई को देकर धन्यवाद भाई, घूमते - घूमते एक खाली मोबाइल की दुकान पर )
नील - Hello कैसे हैं सर ?
दुकानवाले - ठीक हूँ भाई।
नील - मुझे आपसे एक जानकारी चाहिये थी
दुकान - जी पूछिए
नील - Actually मेरे No. की Incoming Call बंद हो गई है तो अभी क्या करूँ ?
दुकान - कितने दिन हुए ?
नील - बस यहीं कुछ 2 - 4 दिन ही हुए हैं।
दुकान - कौन सी सिम है ?
नील - Idea की है भाई
दुकान - एक काम करो 35 वाला Recharge कराओ चालू हो जायेगी
नील - ( सशंकित मन से ) 35 वाले में चालू हो जाएगा ना भाई, उससे अधिक तो नहीं कराना पड़ेगा, और एक बात इस 35 वाले में मुझे पैसे भी मिलेंगे या सिर्फ Incoming ही Start होगी।
दुकान - नहीं नहीं पैसे भी मिलेंगे
नील - तो एक बात बताना Full Talk Time कितने पे है ?
दुकान - 95 सर !
नील - Okay sir कर दीजिये, और ये Mobile Charging पे लगा देते तो अच्छा होता भइया।
दूकान - हाँ हाँ क्यों नहीं, लाओ इधर दो।
( Mobil Shop के Just बगल शुध्द शाकाहारी होटल, में चाय पीने के लिए पहुँच कर )
नील - दद्दू एक चाय मिलेगी !
दादा - हाँ जरूर बेटा क्यों नहीं, हे देखो बाबू को चाय दो।
( बाबू सुनते ही )
नील - कहाँ के हैं आप दद्दू मुम्बई के ही या बाहर के ?
दादा - बेटा हम तो बनारस के हैं, क्यों ?
नील - नहीं वो आपने बाबू कहा ना मुझे, इसलिए मुझे लगा की आप उसी तरफ के होंगे।
दद्दू हमहूँ बनारस 6 साल रहली ह, टूटल - फूटल भोजपुरी हमहूँ के आवेला।
( चाय पीते हुए )
अच्छा दद्दू एक बात पूछीं
दादा - हाँ हाँ बेटा पूँछो
नील - केतना साल हो गइल मुंबई रहत
दादा - यही 22 - 25 साल भइल होइ बेटा
नील - एक बात बतावा कहाँ ज्यादा सुकून हौ, बम्बई म, की बनारस म।
दादा - अब का कहीं बेटा आपन घर अपनै होला, घरा तौ खैर इहौ अपने हौ, लेकिन रजा बनारस के मजा कुछ औरे हौ।
नील - सही कहला दद्दू जौन स्वाद बनारस के चाय में हौ, ऊ केहरियो देखे के नाही मिलेला।
बहुत दिन बाद " चौचक चाय " पीली ह, मजा आ गएल
केरला में तौ अइसन चाय भेंटाते नइखे।
दादा - केरला में रहा ला का बचवा ?
नील - हाँ दद्दू! केरले में पढ़ी ला
- कौन दर्जा म हउआ ?
नील - दद्दू, संस्कृत से M.A करत हई
कल्यान रेलवे स्टेशन - (23/12/2018 - Sunday)
रिक्सा वाले भाई साहब - कहाँ जाना भाई बोलो, बताओ तो सही मैं छोड़ देता हूँ।
नील - सर वो तो सही है पर मुझे खुद को नहीं पता मुझे कहाँ जाना है ?
हाँ अगर आपके पास मोबाइल हो तो एक कॉल करके बता सकता हूँ कहाँ जाना और क्या करना है।
( तब तक दूसरा ग्राहक पाकर निकल लिया वो, दूसरे रिक्सा वाले से )
नील - हेल्लो, हेल्लो भाई साहब ! आपके पास मोबाइल है क्या ?
रिक्सा वाले भाई साहब - हाँ है, क्यों ?
नील - भइया एक कॉल करना है
रिक्सावाले भाई साहब - क्यों तुम्हारे पास मोबाइल नहीं है क्या ?
नील - है ना सर ! पर स्विच ऑफ़ है और मुझे एक बहुत जरुरी बात करनी है।
( ऊपर से नीचे तक देखते हुए )
रिक्सावाले - क्या नाम है ?
नील - नीलेन्द्र है भैया
रिक्सावाले - नहीं, नहीं पूरा नाम बताओ
नील - नीलेन्द्र शुक्ल " नील "
रिक्सावाले - ब्राह्मण हो ?
नील - जी हाँ।
रिक्सावाले - लगते नहीं हो यार Identity Card है क्या कोई ?
नील - इन्सान लग रहा हूँ या नहीं सर !
रिक्सावाले - भाई बुरा मत मानना लेकिन देखने में आतंकवादी भी इंसान ही लगते हैं।
नील - हाँ वो तो है सर, पर अभी आप मेरी सहायता कर रहें हैं या नहीं
रिक्सावाले - बेटा माफ़ करना पर इस मामले में मैं थोड़ा सचेत रहता हूँ, इसलिए मैं आपकी मदद नहीं कर सकता।
नील - Okay Okay Sir! No Problem Thank You ..
( ये सब सुनते हुए दूसरे भाई साहब ने कहा )
भाई साहब - किससे बात करनी है भाई?
नील - जिनके पास जाना है उन्हीं भाई साहब के पास।
भाई साहब - भाई लफड़े वाला नं. तो नहीं है ना
नील - नहीं सर !मैं आपके सामने ही बात करूँगा, नहीं तो एक काम करिये पहले आप बात करिये मैं बाद में कर लूँगा।
भाई साहब - लो भाई अब इतना भी शर्मिंदा न करो।
Second Scene -
नील - Hello, Hello हाँ सुरेन्द्र भाई
सुरेन्द्र - हाँ भाई, कौन ?
नील - मैं नीलेन्द्र, वो विवेक भाई ने आपसे बात की थी न मेरे बारे में
सुरेन्द्र - हाँ, हाँ नीलेन्द्र भाई नमस्कार, कहाँ हो आप ?
नील - मैं कल्यान स्टेशन पे खड़ा हूँ सर।
सुरेन्द्र - अच्छा ! पर यार अभी तो 4 ही बजे हैं और मेरी छुट्टी 8 बजे तक होगी
नील - कोई नहीं भाई तब तक मैं इधर - उधर घूमता हूँ, और हाँ ये नं. मेरा नहीं है। मेरा मोबाइल स्विच ऑफ है So I'll call you ..
सुरेन्द्र - ठीक है भाई! Okay .
Third Scene -
( Mobile भाई को देकर धन्यवाद भाई, घूमते - घूमते एक खाली मोबाइल की दुकान पर )
नील - Hello कैसे हैं सर ?
दुकानवाले - ठीक हूँ भाई।
नील - मुझे आपसे एक जानकारी चाहिये थी
दुकान - जी पूछिए
नील - Actually मेरे No. की Incoming Call बंद हो गई है तो अभी क्या करूँ ?
दुकान - कितने दिन हुए ?
नील - बस यहीं कुछ 2 - 4 दिन ही हुए हैं।
दुकान - कौन सी सिम है ?
नील - Idea की है भाई
दुकान - एक काम करो 35 वाला Recharge कराओ चालू हो जायेगी
नील - ( सशंकित मन से ) 35 वाले में चालू हो जाएगा ना भाई, उससे अधिक तो नहीं कराना पड़ेगा, और एक बात इस 35 वाले में मुझे पैसे भी मिलेंगे या सिर्फ Incoming ही Start होगी।
दुकान - नहीं नहीं पैसे भी मिलेंगे
नील - तो एक बात बताना Full Talk Time कितने पे है ?
दुकान - 95 सर !
नील - Okay sir कर दीजिये, और ये Mobile Charging पे लगा देते तो अच्छा होता भइया।
दूकान - हाँ हाँ क्यों नहीं, लाओ इधर दो।
( Mobil Shop के Just बगल शुध्द शाकाहारी होटल, में चाय पीने के लिए पहुँच कर )
नील - दद्दू एक चाय मिलेगी !
दादा - हाँ जरूर बेटा क्यों नहीं, हे देखो बाबू को चाय दो।
( बाबू सुनते ही )
नील - कहाँ के हैं आप दद्दू मुम्बई के ही या बाहर के ?
दादा - बेटा हम तो बनारस के हैं, क्यों ?
नील - नहीं वो आपने बाबू कहा ना मुझे, इसलिए मुझे लगा की आप उसी तरफ के होंगे।
दद्दू हमहूँ बनारस 6 साल रहली ह, टूटल - फूटल भोजपुरी हमहूँ के आवेला।
( चाय पीते हुए )
अच्छा दद्दू एक बात पूछीं
दादा - हाँ हाँ बेटा पूँछो
नील - केतना साल हो गइल मुंबई रहत
दादा - यही 22 - 25 साल भइल होइ बेटा
नील - एक बात बतावा कहाँ ज्यादा सुकून हौ, बम्बई म, की बनारस म।
दादा - अब का कहीं बेटा आपन घर अपनै होला, घरा तौ खैर इहौ अपने हौ, लेकिन रजा बनारस के मजा कुछ औरे हौ।
नील - सही कहला दद्दू जौन स्वाद बनारस के चाय में हौ, ऊ केहरियो देखे के नाही मिलेला।
बहुत दिन बाद " चौचक चाय " पीली ह, मजा आ गएल
केरला में तौ अइसन चाय भेंटाते नइखे।
दादा - केरला में रहा ला का बचवा ?
नील - हाँ दद्दू! केरले में पढ़ी ला
- कौन दर्जा म हउआ ?
नील - दद्दू, संस्कृत से M.A करत हई
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