ऐसे धीरे - धीरे जीवन बीत गया
जैसे कोई अपना हमदम मीत गया
बचपन माँ की गोद में गुजरा
और जवानी प्यार में
पत्नी संग फिर उम्र बिताया
और बुढ़ापा याद में
जीवन का बस लक्ष्य था इतना
जितना मैंने पाया है
खुश हूँ अपने इस जीवन से
जिसमें रंग समाया है
ऐसे ही इस जीवन को मैं लम्हा - लम्हा जीत गया
फिर से पा लूँ तुमको
ये जी करता है
गोद में ले लूँ तुमको
पर दिल डरता है
संग सदा तेरे मैं भी
रहना चाहूँ
तुमसे दिल की बातें सब
कहना चाहूँ
जब - जब मेरे साथ रहा तू भीत गया
तेरी भोली बातों का मैं दीवाना
पागल था थोड़ा , थोड़ा सा बेगाना
बातें दिल की सुनता
और सुनाता था
अब तक मैं छुप - छुप के
तुमको गाता था
नील गए जब से तुम दिल से गीत गया
ऐसे धीरे - धीरे जीवन बीत गया
जैसे कोई अपना हमदम मीत गया
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