08/10/2018

उसी में आज रावण देखता हूँ


अधूरा आज सावन देखता हूँ 
कि बस बादल लुभावन देखता हूँ 

जिसे कहता रहा मैं रोज़ ईश्वर 
उसी में आज रावण देखता हूँ 

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