छोड़ दे ऐसे नशे मजबूर थोड़ी है
आ गई दिल्ली, बहुत अब दूर थोड़ी है
फूँकना मत ये जवानी इस नशे की आग में
लड़कियाँ जन्नत की कोई हूर थोड़ी हैं
हर घड़ी बस तुम विवश हो ये कहाँ की बात है
इस जमाने में यही दस्तूर थोड़ी है
उसको गर होगी मुहब्बत आएगी वो दौड़कर
हैं महज़ नखरे , कोई मजबूर थोड़ी है
हमको भी उसकी अदाएँ देखकर अच्छी लगी
पर उसी के दायरे में चूर थोड़ी हैं
तुम कोई जारा नही न वीर कोई मैं रहा
छोड़ दे तू इस अहद मशहूर थोड़ी हैं
भग गये वो राह में हमको अकेले छोड़कर
ये मेरी शुरुआत थी भरपूर थोड़ी है
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