का बतियाएँ काका तुमसे
देश में हैं दो बन्दर
एक शहर का नाम बदलता
दूजा घूमे जमकर
जितना वो कहते हैं ,जितना
बोलें उतना लिखो
कान, आँख, मुँह बन्द करो
जों बोलें उसको सीखो
सुनो सदा अनुकूल रहो और
चलना ज़रा सम्हलकर
प्यार , मुहब्बत किये नही वो
और नही कुछ समझें
बदल रहे वो दुनिया यारों
खुद को कभी न बदलें
दोनों कृत्रिम - बातें करते
फेंक रहे हैं छककर
मानवीयता तनिक नही है
सदा काटने दौड़ें
छप्पन इंच की छाती दिखलाकर
होते हैं चौड़े
दोनों की मति भ्रष्ट हुई है
दोनों हैं घनचक्कर
का बतियाएँ काका तुमसे
देश में हैं दो बन्दर
एक शहर का नाम बदलता
दूजा घूमे जमकर
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