30/10/2018

मैं अपने अंतिम समय में

Pic Credit - Rahul Sharma 

मैं तुमसे ठीक वैसे ही 
प्यार करता हूँ, जैसे
एक माता - पिता अपने बच्चे से 
एक रिसर्चर अपने रिसर्च से

जैसे एक कुम्हार अपने 
बनाए हुए मिट्टी के पात्रों से 
एक पाठक अपनी किताब से 
लेखक विचारों के साथ पेन और कागज से 
समुद्र साहिल से 
और
एक प्रेमी अपनी प्रेमिका से ....

ठीक वैसे ही मैं भी तुम्हें
प्यार करता हूँ

मैंनें तुमसे बेइन्तिहाँ
मुहब्बत की
तुमसे इस बात का जिक्र किये बिन


मैं अपने अन्तिम समय में
किसी पागल की तरह
समुद्र के किनारे बैठ
उतनी बार लिखूँगा तुम्हारा नाम

जितनी बार समुद्र की लहरें उसे मिटाएंगी
जितनी बार लोग मुझे पागल कह के सम्बोधित करेंगे
जितनी बार तुम्हारा नाम मेरी आँखों से ओझल होगा

लिखते - मिटते लिखते - मिटते
एक दिन मैं खुद
तुम्हारे नाम के साथ
उसी समुद्र में लिख - मिट जाऊँगा

पर तुम रोना नहीं
न ही मेरे न होने का शोक मनाना
तुम मुझे खुद में महसूस करना
मैं वहीं कहीं तुम्हें मिलूँगा
तुम्हारी आत्मा की अनन्त गहराइयों में
तुम्हारे साथ ।

मैं किसी का कुछ उधार
नहीं रखना चाहता,
बहुत अधिक दिनों तक

मैंने वादा किया है
मिटृटी से, हवा से ,पानी से ,आकाश से और
अग्नि से
सभी अपना - अपना हिस्सा ले जाएँँगें मुझसे
जब मैं यहाँ से विदा लूँगा

हाँ ,मेरे पास
तुम सभी की यादें हैं , प्यार है ,मुहब्बत है
जो इस धरती की
सबसे - खूबसूरत चीजें हैं मेरे हिसाब से

आप मुझसे वो मत माँगिएगा
माफ़ कीजिएगा, उसे मैं नहीं दे पाउँगा 


मैं अपने अन्तिम समय में 
जैसे लोगों के द्वारा देव ईश्वर अल्लाह 
महसूस किये जाते हैं 
वैसे ही मैं तुम्हें महसूस करूँगा 
तुम्हारे प्यार को पूजात्मक - क्रिया मानकर 











माफ कीजिए, उसे मैं नहीं दे पाऊँगा

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