01/10/2018

बदन में फूल है या फूल ही बदन है तेरा

Neel

जितना हम कह रहे उससे भी पाक मन है तेरा
होंठ में कंपकपी , मदहोश ये यौवन है तेरा

तेरे आते ही महक उठता है ज़र्रा - ज़र्रा
बदन में फूल है या फूल ही बदन है तेरा

खूबियाँ क्यों न कहूँ उसकी वो दिखती ऐसी
जमीं पे उतरा हुआ चाँद सा सनम है तेरा

रोज़ कहता है कि तस्वीर बदल दूँगा मैं
मुझे दिखता नही ऐसा कहाँ चमन है तेरा

सोंचती क्यों है ये इक तू ही तड़पती धरती
पूँछ उससे कभी क्या हाल ये गगन है तेरा

तेरी आवाज़ है श्रीहर्ष की दमयन्ती सी
युँ ही गाती रहो प्यारा बहुत भजन है तेरा 

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