पापा पापा फल दो ना
थोड़ा सा सम्बल दो ना
मुझको भी पढ़ना लिखना है
मुझको मेरा कल दो ना
मुझको भी कुछ करना है
भइया जैसा बनना है
आँखमिचौली नहीं खेलना
मुझको आगे बढ़ना है
मैं भी उड़ना सीखूँगी
मुझको जीवनजल दो ना
मुझको क्यूँ कमजोर समझते ?
मुझसे क्यूँ बातें न करते ?
सामाजिक बदलाव करेंगे
सबमें हम समभाव भरेंगे
मेरे प्रश्नों से क्यूँ चुप हो
आखिर कुछ तो हल दो ना
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