प्रियतम नें अलगाव लिखा है खत में और संदेशों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में
मानव देखा जाता है अब रंग रुपों और वेशों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में
देखता हूँ मैं जब जिसको सब रहते हैं आवेशों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में
खेतों में है आग लगी जीते हैं कुछ अवशेषों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में
ज्ञान अथाह भले ही हो नौकरी नही है रेसों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में
लोग स्वयं का मान बेंच देते हैं रुपयों - पैसों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में
ऐसे ही यह विश्व बँट गया देशों और प्रदेशों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में
मानव देखा जाता है अब रंग रुपों और वेशों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में
देखता हूँ मैं जब जिसको सब रहते हैं आवेशों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में
खेतों में है आग लगी जीते हैं कुछ अवशेषों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में
ज्ञान अथाह भले ही हो नौकरी नही है रेसों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में
लोग स्वयं का मान बेंच देते हैं रुपयों - पैसों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में
ऐसे ही यह विश्व बँट गया देशों और प्रदेशों में
ज्यादा है कुछ बात नही बस तरह - तरह के क्लेशों में
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