05/04/2020

तुम्हारा जाना

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तुम्हारा जाना इतना आसान
नहीं था मेरे लिए,
तुम्हारा जाना कुछ यूँ रहा
जैसे -

ज्ञानेन्द्रियों के चले जाने पर
कर्मेन्द्रियाँ स्वतः खो देती होंअपना अस्तित्व
और विलीन हो जाती हों अनन्त में ।

नीलेन्द्र शुक्ल " नील "

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