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कन्हैय्या यशोदा और देवकी के साथ |
दवा लेता हूँ अक्सर और खाँसी दूर रहती है
मुहब्बत गर हकीकत हो तो राशी दूर रहती है
बहुत ही याद आती है तुम्हारी अब अकेले में
मेरी माँ सामने हो तो उदासी दूर रहती है
जिसे मैं चाहता हूँ हे प्रिये! मैं नाम दे बैठा
है इस दिल में, मग़र कॉलेज से थोड़ा दूर रहती है
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