Neel At Panjabi Dhaba In Kerala. |
जिन्दगी की कश्मक़श में उलझनें
आती हैं लेकिन
उलझनों से भागना सीख़ा नहीं मैंने
कभी भी
जब तलक हैं प्राण, हैं साँसें
मुक़म्मल जिन्दगी है
तब तलक मैं भी तुम्हारा साथ
देता ही रहूँगा
मैं तुम्हारा था ,तुम्हारा हूँ , तुम्हारा ही रहूँगा
तुम हजारों क्या करोड़ों लो
परीक्षाएँ हमारी
या मुझे दे दो अभी से आप
अपनी ज़िम्मेदारी
मैं तुम्हें उन चाँद - तारों तक नहीं ले
जाऊँगा पर
मैं तुम्हें नज़्मों में अपने घोलकर
ऐसे कहूँगा
ऐसे कहूँगा
मैं तुम्हारा था ,तुम्हारा हूँ , तुम्हारा ही रहूँगा
इश्क क्या है क्या मुहब्बत और ये
नफ़रत भला क्या
तुम हमारे पास हो जब तो कहो
सोहरत भला क्या
मानता हूँ मैं मुकम्मल इश्क का
लम्बा - सफ़र है
तुम जिधर बहती रहोगी मैं उधर
बहता रहूँगा
मैं तुम्हारा था ,तुम्हारा हूँ , तुम्हारा ही रहूँगा
तुम नहीं चिन्ता करो बस साथ
यूँ देती रहो तुम
हाँथ से अपने सदा ये हाँथ
भर देती रहो तुम
ये भरा संसार दुःख देता रहा
सदियों तलक
मैं भरे संसार का दुःख छोड़कर
आगे बढूँगा
मैं तुम्हारा था ,तुम्हारा हूँ , तुम्हारा ही रहूँगा
चाहतें इतनी हमारी संग तुम्हारे
घूम लूँ मैं
तुम मुझे यूँ देखती जाओ तुम्हें
अब चूम लूँ मैं
और फिर इन मुट्ठियों में हो भरा
संसार अपना
खूबसूरत ज़िन्दगी संग खूब मैं
सपनें गढ़ूँगा
मैं तुम्हारा था ,तुम्हारा हूँ , तुम्हारा ही रहूँगा
तुम नहीं चिन्ता करो बस साथ
यूँ देती रहो तुम
हाँथ से अपने सदा ये हाँथ
भर देती रहो तुम
ये भरा संसार दुःख देता रहा
सदियों तलक
मैं भरे संसार का दुःख छोड़कर
आगे बढूँगा
मैं तुम्हारा था ,तुम्हारा हूँ , तुम्हारा ही रहूँगा
चाहतें इतनी हमारी संग तुम्हारे
घूम लूँ मैं
तुम मुझे यूँ देखती जाओ तुम्हें
अब चूम लूँ मैं
और फिर इन मुट्ठियों में हो भरा
संसार अपना
खूबसूरत ज़िन्दगी संग खूब मैं
सपनें गढ़ूँगा
मैं तुम्हारा था ,तुम्हारा हूँ , तुम्हारा ही रहूँगा
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