Neel At Chinmaya Vishwavidyapeeth |
तमाशाई बहुत हैं लोग मगर क्या कीजे
किसी पे आ गया जो दिल तो मुहब्बत कीजे
हौंसलों में उड़ान भर के आसमाँ चूमूँ
मेरे हिस्से की आज फिर से इबादत कीजे
छोड़ देते हैं सब, हमराज़ नहीं है कोई
खुद ही, खुद को सदा ख़ुश रखने की आदत कीजे
मुझे जो बोलना है बोल, मग़र प्यारे सुन
नहीं परिवार को कुछ कहने की जुरअत कीजे
पाक - ए -हिज्राँ की नज़र है जो बढ़ रहा हूँ मैं
छोड़ भी दीजिये अब यूँ नहीं कुर्बत कीजे
काम करना है अगर देख कभी सड़कों पर
अपने इस मुल्क के बच्चों की हिफ़ाजत कीजे
छोड़कर द्वेष, भेदभाव सभी आज यहाँ
सारा संसार मिलाकर इसे भारत कीजे
पाक - ए -हिज्राँ - विरह का पवित्र दुःख
कुर्बत - निकटता , सामीप्य
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