27/05/2020

हम तुम्हारे हैं पुरुरवा तुम हमारी उर्वशी!


कौन सा जादू किये हो बोल दो मेरे वशी ।
हम तुम्हारे हैं पुरुरवा तुम हमारी उर्वशी ।।

नेह का दीपक जलाकर
पुण्यपूरित मन लिए
ढूँढता तुमको रहा मैं दर्द
का दामन लिए

हम जलें हैं साथ में जलता रहा मेरे शशी ।
हम तुम्हारे हैं पुरुरवा तुम हमारी उर्वशी ।।

तुम हमारा साथ छोड़े
और ओझल हो गये
भावनाएँ बिक चुकी हैं
स्वप्न बोझिल हो गये

जग रहा हूँ मैं हमारे साथ जगती है निशि ।
हम तुम्हारे हैं पुरुरवा तुम हमारी उर्वशी ।।

साथ दूँगी जिन्दगी भर
ये वचन खुद बोलकर
कौन जाता है अकेला
यूँ किसी को छोड़कर

मौन थी सारी दिशाएँ देखकर मुझको हंसी
हम तुम्हारे हैं पुरुरवा तुम हमारी उर्वशी ।।

Neelendra Shukla

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