Pic Credit - Rahul Sharma
मैं तुमसे ठीक वैसे ही
प्यार करता हूँ, जैसे
एक माता - पिता अपने बच्चे से
एक रिसर्चर अपने रिसर्च सेजैसे एक कुम्हार अपने
बनाए हुए मिट्टी के पात्रों से
एक पाठक अपनी किताब से
लेखक विचारों के साथ पेन और कागज से
समुद्र साहिल से
औरएक प्रेमी अपनी प्रेमिका से ....ठीक वैसे ही मैं भी तुम्हेंप्यार करता हूँमैंनें तुमसे बेइन्तिहाँमुहब्बत कीतुमसे इस बात का जिक्र किये बिनमैं अपने अन्तिम समय मेंकिसी पागल की तरहसमुद्र के किनारे बैठउतनी बार लिखूँगा तुम्हारा नामजितनी बार समुद्र की लहरें उसे मिटाएंगीजितनी बार लोग मुझे पागल कह के सम्बोधित करेंगेजितनी बार तुम्हारा नाम मेरी आँखों से ओझल होगालिखते - मिटते लिखते - मिटतेएक दिन मैं खुदतुम्हारे नाम के साथउसी समुद्र में लिख - मिट जाऊँगापर तुम रोना नहींन ही मेरे न होने का शोक मनानातुम मुझे खुद में महसूस करनामैं वहीं कहीं तुम्हें मिलूँगातुम्हारी आत्मा की अनन्त गहराइयों मेंतुम्हारे साथ ।
मैं किसी का कुछ उधार
नहीं रखना चाहता,
बहुत अधिक दिनों तक
मैंने वादा किया है
मिटृटी से, हवा से ,पानी से ,आकाश से और
अग्नि से
सभी अपना - अपना हिस्सा ले जाएँँगें मुझसे
जब मैं यहाँ से विदा लूँगा
हाँ ,मेरे पास
तुम सभी की यादें हैं , प्यार है ,मुहब्बत है
जो इस धरती की
सबसे - खूबसूरत चीजें हैं मेरे हिसाब से
आप मुझसे वो मत माँगिएगा
माफ़ कीजिएगा, उसे मैं नहीं दे पाउँगा
माफ़ कीजिएगा, उसे मैं नहीं दे पाउँगा
मैं अपने अन्तिम समय में
जैसे लोगों के द्वारा देव ईश्वर अल्लाह
महसूस किये जाते हैं
वैसे ही मैं तुम्हें महसूस करूँगा
तुम्हारे प्यार को पूजात्मक - क्रिया मानकर