26/06/2019

खींचता होंठ का तुम्हारे तिल



तुम्हें मिला तिरी खबर जाना 
आज तुमको मैं बेखबर जाना 

दुआ में मांगते हैं लोग मुझे 
बात ये आज इस सहर जाना 

खींचता होंठ का तुम्हारे तिल
और सबकुछ है बेअसर जाना 

आई घर से वो सुर्ख आरिज़ में
दे दिया दांत का असर जाना 

एक इक गोद में तुम्हारे सर 
एक तुझमें मेरा बसर जाना 

और क्या कर दिया कहो, तुमको 
देखता नील दर ब दर जाना

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