तुम्हें मिला तिरी खबर जाना
आज तुमको मैं बेखबर जाना
दुआ में मांगते हैं लोग मुझे
बात ये आज इस सहर जाना
खींचता होंठ का तुम्हारे तिल
और सबकुछ है बेअसर जाना
आई घर से वो सुर्ख आरिज़ में
दे दिया दांत का असर जाना
एक इक गोद में तुम्हारे सर
एक तुझमें मेरा बसर जाना
और क्या कर दिया कहो, तुमको
देखता नील दर ब दर जाना
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