तेरे शहर में, तेरे साथ मेरा प्यार चले
साथ तेरा रहे यूं मौसम ए बहार चले
जिन्दगी खुशनसीब जन्नत ए चमन जैसी
तू जो आए तो मेरे सारे गम गुजार चले
रूप है चांद सा, ख़ुशबू है रातरानी सी
रात संग बैठकर अपनी ग़ज़ल संवार चले
होंठ लिपटे हैं, नजर बंद, कमर हांथों में
खूबसूरत रहा लम्हा वो बार बार चले
लोग पढ़ते हैं, देखते हैं और सुनते हैं
तुम्हारी रूह निकाले यहां उतार चले
एक चलने से तेरे, ये जहां चलता है
नील के साथ तुम चले तो बेशुमार चले
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