कहीं पर कोयलें कुछ गा रही हैं
मधुर संगीत की धुन आ रही है
निकलकर आज दरवाजों से बाहर
तिरंगा बेटियां लहरा रही हैं
तुम्हारे आंख की ख़ामोशियां सब
हमारी आंख से बतला रही हैं
खुली रंजिश में टकराता है भारत
हमारे देश की दरियादिली है
मुहब्बत सरफ़रोशी की तमन्ना
मुहब्बत ही जमीं समझा रही है
हृदय आकांक्षा से भर गया है
बालाएं जो रही वो जा रही हैं
कहां से छू गई मुझको सरापा
हवा ये नील को बहका रही है
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