स्रोतस्विनी बन जाइये ,
हमको बहा ले जाइये ।।
मानस - पटल के भाव में,
हृदयस्थ आविर्भाव में,
मेरे रोम - रोम में आइये ।।
इस प्लवन रूपी भार को,
स्वच्छन्द इस संसार को,
अब आप आके बचाइये ।।
नव रसों से सब युक्त हों ,
परिवार सब संयुक्त हों ,
सौहार्द - भाव बढ़ाइये ।।
पंक्षियों को उन्मुक्त कर ,
आवास भी उपयुक्त कर ,
उनके भी शरण में जाइये ।।
दारुण - हृदय के शोक को ,
निष्पाप बाँझिन कोख को,
फल - फूल से भर जाइये ।।
भागीरथी , ओ नर्मदा ,
पुण्यप्रदा , माँ शारदा ,
साहसिक सबको बनाइये ।।
हे शिरोभूषण धारिणी ,
कल्याणिनी ,हे कमलिनी ,
बस ज्ञान - दीप जलाइये ।।
स्रोतस्विनी बन जाइये
हमको बहा ले जाइये ।।
हमको बहा ले जाइये ।।
मानस - पटल के भाव में,
हृदयस्थ आविर्भाव में,
मेरे रोम - रोम में आइये ।।
इस प्लवन रूपी भार को,
स्वच्छन्द इस संसार को,
अब आप आके बचाइये ।।
नव रसों से सब युक्त हों ,
परिवार सब संयुक्त हों ,
सौहार्द - भाव बढ़ाइये ।।
पंक्षियों को उन्मुक्त कर ,
आवास भी उपयुक्त कर ,
उनके भी शरण में जाइये ।।
दारुण - हृदय के शोक को ,
निष्पाप बाँझिन कोख को,
फल - फूल से भर जाइये ।।
भागीरथी , ओ नर्मदा ,
पुण्यप्रदा , माँ शारदा ,
साहसिक सबको बनाइये ।।
हे शिरोभूषण धारिणी ,
कल्याणिनी ,हे कमलिनी ,
बस ज्ञान - दीप जलाइये ।।
स्रोतस्विनी बन जाइये
हमको बहा ले जाइये ।।
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