कहो कोई कहीं से आ रहा क्या
सुनो तो ग़ौर से क्या कह रहा है
मेरे घर का पता बतला रहा क्या
गए थे आबरू से खेलने तुम
सुनाओ तो सही महंगा पड़ा क्या
बहाया है बहुत ही ख़ून मेरा
बता जन्नत में गद्दी पा गया क्या
खिला जैसे निकल कर आ गई तुम
ज़रा देखो कमल मुरझा गया क्या
रुका हनुमान सा लंका समझकर
तुम्हारा मुल्क दहशत खा गया क्या
बहाया है बहुत ही ख़ून मेरा
बता जन्नत में गद्दी पा गया क्या
खिला जैसे निकल कर आ गई तुम
ज़रा देखो कमल मुरझा गया क्या
रुका हनुमान सा लंका समझकर
तुम्हारा मुल्क दहशत खा गया क्या
तिरंगा झूमता है आसमाँ में
मेरा भाई इसे लहरा गया क्या
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