Farewell Pictures Of Varun Sir |
जीवन को हर पल समझाना स्वाभाविक है
जीवन के हर पहलू पर सब साथ न होंगे
जो आया है उसका जाना स्वाभाविक है
गुरु ईश्वर हैं, मात - पिता हैं, भाई - बन्धु
इन सबमें भी खुद को पाना स्वाभाविक है
भावुक - हृदय हमेशा बस रोना ही सीखा
आँखों में आँसू का आना स्वाभाविक है
जीवन में टकराते हैं कुछ प्यार भरे पल
उन सब में इस पल का आना स्वाभाविक है
हम संसार बदलने वाले बच्चे सारे
हम सबका यूँ उड़ते जाना स्वाभाविक है
इक प्यारे शिक्षक से यारों दूरी होना
ऐसे में मन का घबराना स्वाभाविक है
जन्मदिन की अशेष शुभकामनाएँ वरुन सर आप यूँ ऊँचाइयाँ छूते रहें
और जीवन को एक प्रोफेसर की भाँति नही अपितु एक शिक्षक की तरह जीते रहें जैसे हम सभी के लिए यहाँ थे आप ईश्वर से यही प्रार्थना है मेरी
आपके असंख्य शिष्य हों जो आपको हम सभी से भी ज्यादा प्यार दे सकें और आपका जीवन खुशियों से भरा रहे ।
4 comments:
एक सच्चे शिक्षक के लिए एक सच्चे शिष्य की तरफ से उनके लिए श्रद्धा सहित एक सच्ची मनोकामना...
गुरु के प्रति रचित आपकी यह रचना एक सच्ची श्रद्धा का प्रतीक है....
आजकल के जीवन में गुरु और शिष्य के बीच में जो मान और सम्मान हैं वह केवल उनके शिक्षा काल तक ही सीमित रह रही हैं..... लेकिन वास्तव में गुरु क्या है वह लोग नहीं समझ पाते हैं...
जो गुरु और शिष्य के बीच में प्राचीन काल से जो परंपराएं चली आ रही थी वह धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रही हैं.... अब लोग पाश्चात्य संस्कृति के दृष्टि से अपने शिक्षकों का सीमित सम्मान ही करते हैं.... वह भूल जाते हैं की वे जिस ऊंचाई पर हैं उसके पीछे एक सच्चे गुरु का ही हाथ होता है...
आपकी यह रचना दूसरों को प्रेरित करेंगे और गुरु के प्रति उनके कर्तव्यों का बोध कराएंगी....
जिस प्रकार जिस श्रद्धा से आपने गुरु के लिए यह रचना रचित की है ठीक वैसे ही..
मैं आपको सच्चे हृदय से नमन करता हूं🙏🙏
हृदय की गहराइयों से लिखी इस सुंदर कविता के लिए बहुत बहुत बधाई। आपने शिष्य और गुरु के संबंध का बहुत अच्छा चित्रण किया है। आपके गुरु वरुण जी को भी बहुत भ बधाई।
vah kaviraj shobhanam
अरे भईया ....!
हमें बहुत अच्छा लगा..
आपकी ये कविता.. हम सभी को प्रेरित करेगी!
जय हिंद जय भारत
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