26/04/2017

बहुत हैं

अल्लाह तेरी नज़र में बेशुमार बहुत हैं
ईश्वर नही दिखे कहीं दरबार बहुत हैं ।
इक मैं ही नही प्यार करके पाप किया हूँ ,
धरती पे मेरे जैसे गुनाहगार बहुत हैं

नज़रें जमाए देखती है हुश्न - मुहब्बत
मुझ जैसे उस नज़र में गिरफ्तार बहुत हैं

इस देश की हमदर्द निगाहों से मदद लो
सब नीच ही नही हैं मददगार बहुत हैं

गाँवों की दशा देख शहर ही भला लगे
घर कम ही देखता हूँ मैं दीवार बहुत हैं

माँ की दुवाएँ साथ हैं, बहनों की इबादत
गुस्से भरे पिता हैं मगर प्यार बहुत है

दाढ़ी,जटाएँ देख के भरम में मत पड़ो
पाखण्डियों के नाम बलात्कार बहुत हैं

बहनों की , बेटियों की यूँ इज्जत से न खेलो
शहरों में हवस के लिए बाज़ार बहुत हैं

गैरों का खाके कब तलक आराम करोगे
बाँटो तो सही ,देश में हकदार बहुत हैं

इसका कभी उसका हूँ सदा रोल निभाया
चेहरा है एक दोस्तों किरदार बहुत हैं

दिल से मिला हूँ सबसे नही बुद्धि लगाई
वो सोंचते हैं खुद को समझदार बहुत हैं

हर पाँच - वर्ष बाद दिखें हाँथ जोड़कर
भारत में दिखी नक्कटी सरकार बहुत हैं

दूजे के काँध रख के मियाँ ट्रिगर दबाएँ
इक " नील " तू ही मूर्ख होशियार बहुत हैं ।।

14 comments:

आर्य भारत said...

थोड़ी बहर पर ध्यान दो। अब किसी उस्ताद को दिखाया करो। बात की दृष्टि से गाँव और शहर वाली बात जमी। और भी सब शेर अच्छे लगें। रचते रहो

Poetry With Neel said...

जरूर ध्यान देंगे भइया और जहाँ उस्ताद की बात है तो मैंने इसीलिए तो आपको भेजी थी ये रचना खैर बहुत बहुत आभार आपका भइया मेरे ब्लाॅग पे आने के लिए और अपनी अमूल्य टिप्पणी देने के लिए ।।

Unknown said...

Superbb lines Bhai Ji............

Poetry With Neel said...

धन्यवाद भाई साहब

Anonymous said...

Bahut sundar bhai bahut achhi kavita dil ko chhu gai I proud of you 👌 👌 👌 👌 👌

Poetry With Neel said...

शुक्रिया विनीत भाई

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
Unknown said...

बहुत सुन्दर गज़ल दिल को छु गई

Poetry With Neel said...

शुक्रिया निशान्त जी

Saurabh Dwivedi said...

बहुत अच्छे कविवर! एक कविता, कई विषय और कहने का सशक्त अंदाज...! सब कुछ अच्छा...
पढ़ने में कई जगह छन्द कम ज्यादे समझ आ रहे लेकिन भाव इतने मजबूत कि हृदय वहां ठहर नहीं पाया...!
बधाई इस बेहद उम्दा रचना के लिए।

Poetry With Neel said...

भइया प्रणाम,
सर्वप्रथम तो मैं आपका अपने ब्लाॅग पर स्वागत करता हूँ ।
आपने अपना अमूल्य समय निकाल कर मेरी रचना पढ़ी, हमें उचित राय दी अतः आपका बहुत बहुत आभार और मैं जरूर छन्द विषयक त्रुटियों पर ध्यान दूँगा और अगली रचना सशक्त करने की कोशिश करूँगा ।।

Ritu asooja rishikesh said...

सही बात है चाहे कोई भी श्रेत्र हो ,हवस के शिकार बहुत हैं
अच्छी सोच ।

Rahul Gautam said...

अति सुन्दर सर बहुत ही उम्दा

पथिक said...

Lallantap

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