आज के चलचित्र बत्तर और हैं अश्लील होते,
गड़ रहे हैं ये हृदय में जैसे कोई कील होते ।
है प्रभावित आज की जनता हनी सिंह और सनी से,
एक के हैं वस्त्र छोटे, दूजे बाल नुकीले होते ।।1।।
भाव के गाने नही हैं और न वो भंगिमा ।
देखने को मिल रहे हैं ऐसे गाने शील होते ।।2।।
बस यही केवल नही इनके सदृश कितने वहाँ पे ।
तन दिखाते ,चिपकते हैं, दिखते हैं रंगीन होते ।।3।।
बिकनियों से स्तन छुपाए डांस करती फ्लोर पे वो ।
और लाखों, करोड़ों जन देखते हैं भील होके ।।4।।
न रहे वो शब्द, वो अल्फाज़, वो संवाद अब ।
दिख रहे हैं भाव सारे इस समय सड़्गीन होते ।।5।।
देखने को मिल रहा इन पिक्चरों से अब यही ।
जैसे कोई पुरुष - स्त्री करते नंगी सीन होते ।।6।।
वो समझती हैं परी खुद को, नही मालुम उन्हें ।
आज उनकी वजह से हैं अदालतों में दलील होते ।।7।।
आँख पे पर्दा पड़ा है इस नगर की रोशनी से ।
जिस्म का व्यापार है बस इसमें न कुछ फील होते ।।8।।
छोटे कपड़े देखकर हैं गिद्ध प्रायः लोग बनते ।
जिनके घर इज्जत लुटी है, उनके घर गमगीन होते ।।9।।
गड़ रहे हैं ये हृदय में जैसे कोई कील होते ।
है प्रभावित आज की जनता हनी सिंह और सनी से,
एक के हैं वस्त्र छोटे, दूजे बाल नुकीले होते ।।1।।
भाव के गाने नही हैं और न वो भंगिमा ।
देखने को मिल रहे हैं ऐसे गाने शील होते ।।2।।
बस यही केवल नही इनके सदृश कितने वहाँ पे ।
तन दिखाते ,चिपकते हैं, दिखते हैं रंगीन होते ।।3।।
बिकनियों से स्तन छुपाए डांस करती फ्लोर पे वो ।
और लाखों, करोड़ों जन देखते हैं भील होके ।।4।।
न रहे वो शब्द, वो अल्फाज़, वो संवाद अब ।
दिख रहे हैं भाव सारे इस समय सड़्गीन होते ।।5।।
देखने को मिल रहा इन पिक्चरों से अब यही ।
जैसे कोई पुरुष - स्त्री करते नंगी सीन होते ।।6।।
वो समझती हैं परी खुद को, नही मालुम उन्हें ।
आज उनकी वजह से हैं अदालतों में दलील होते ।।7।।
आँख पे पर्दा पड़ा है इस नगर की रोशनी से ।
जिस्म का व्यापार है बस इसमें न कुछ फील होते ।।8।।
छोटे कपड़े देखकर हैं गिद्ध प्रायः लोग बनते ।
जिनके घर इज्जत लुटी है, उनके घर गमगीन होते ।।9।।
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