02/09/2016

" जब तक पावन मातृभूमि पर "

जब तक पावन मातृभूमि पे,
मुझ जैसे दीवाने होंगे ।
हृदय - गीत गाए जाएँगे,
गज़ल, गीत और गाने होंगे ।।1।।

कलियों पर भँवरे मड़राएँ,
वो पराग - दीवाने होंगे ।
प्रेम - विरह में जलते जाएँ,
कुछ ऐसे परवाने होंगे ।।2।।

तुम रोते हो इसके पीछे,
आखिर! कुछ अफसाने होंगे ।
जीवन मात्र चार - पल का है,
कष्टों को अपनाने होंगे ।।3।।

मित्रों से है जीवन सारा,
कार्य में हाँथ बटाने होंगे ।
बोझ नही होगा सर पे जब,
दुःखों से अन्जाने होंगे ।।4।।

दुल्हन आए कमरे में,
के पहले सेज सजाने होंगे ।
युग बदला तुम भी बदलो,
दुल्हन के पैर दबाने होंगे ।।5।।

जैसे ही युग अँगड़ाई ले,
गीत बदल कर गाने होंगे ।
ज़रा बताओ बातें अपनी,
किस्से नये पुराने होंगे ।।6।।

होंठों पे हो प्रेम की भाषा,
हृदय से हृदय मिलाने होंगे ।
दुश्मन भी आ गले मिले जब,
पुष्प-वृष्टि बरसाने होंगे ।।7।।

मित्र - मण्डली की बैठक में,
चाय - पान फिर पाने होंगे ।
कई दिनों के बाद मिलेंगे,
अपने नये जमाने होंगे ।।8।।

सारे गज़ल, गीत, छन्दों को,
जन - जन तक ले जाने होंगे ।
अन्धकार मिट जाए सारा,
ऐसे दीप जलाने होंगे ।।9।।

कलम तुम्हारी सारस्वत है,
तुमको छन्द बनाने होंगे ।
जहाँ - जहाँ तक 'नील' न पहुँचा,
वहाँ - वहाँ पहुँचाने होंगे ।।10।।

No comments:

रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है!

देसभक्त कै चोला पहिने विसधर नाग पले है रामराज कै रहा तिरस्कृत रावणराज भले है ।। मोदी - मोदी करें जनमभर कुछू नहीं कै पाइन बाति - बाति...