मैं हवा हूँ हवा में बिखर जाने दो,
पास आओ न मेरे गुज़र जाने दो ।
वक्त ठहरा हुआ सा ,मुझे लग रहा,
कुछ करो हे विधाता !सुधर जाने दो ।।1।।
हम गरीबों की टोली में कुछ भी नही ।
जो भी जीवन दिया है निखर जाने दो ।।2।।
हूँ जवानी जिया मैं बहुत मखमली ।
अब लगा दो पहर न उधर जाने दो ।।3।।
प्यार को मैं नही कह रहा मखमली ।
वो इबादत है मुझको उधर जाने दो ।।4।।
अब परिश्रम कराओ जिऊँ शान से ।
सारी बदनामियों को निगल जाने दो ।।5।।
मेरे हिस्से की जो भी खुशी है बची ।
बाँट दो उसको ,न अब इधर आने दो ।।6।।
जो भी चाहा न चाहा ,है वो सब मिला ।
बस करो अब जरा सा ठहर जाने दो ।।7।।
क्या गलत है सही क्या न निर्णय करो।
प्रेम से जो बुलाए तो घर जाने दो ।।8।।
एक मीरा हुई दूजी है राधिका ।
गोपियों को भी मोहन सँवर जाने दो ।।9।।
भाव सारे कुसुम सम समर्पित किया ।
अब सजाओ इन्हें या कि बह जाने दो ।।10।।
अब जनाजा उठे मेरा कल या परों ।
जो भी चाहूँ मेरे मौला कर जाने दो ।।11।।
मेरे मौला, खुदा, मेरे ईश्वर सुनो ।
होश मुझको धराओ या मर जाने दो ।।12।।
पास आओ न मेरे गुज़र जाने दो ।
वक्त ठहरा हुआ सा ,मुझे लग रहा,
कुछ करो हे विधाता !सुधर जाने दो ।।1।।
हम गरीबों की टोली में कुछ भी नही ।
जो भी जीवन दिया है निखर जाने दो ।।2।।
हूँ जवानी जिया मैं बहुत मखमली ।
अब लगा दो पहर न उधर जाने दो ।।3।।
प्यार को मैं नही कह रहा मखमली ।
वो इबादत है मुझको उधर जाने दो ।।4।।
अब परिश्रम कराओ जिऊँ शान से ।
सारी बदनामियों को निगल जाने दो ।।5।।
मेरे हिस्से की जो भी खुशी है बची ।
बाँट दो उसको ,न अब इधर आने दो ।।6।।
जो भी चाहा न चाहा ,है वो सब मिला ।
बस करो अब जरा सा ठहर जाने दो ।।7।।
क्या गलत है सही क्या न निर्णय करो।
प्रेम से जो बुलाए तो घर जाने दो ।।8।।
एक मीरा हुई दूजी है राधिका ।
गोपियों को भी मोहन सँवर जाने दो ।।9।।
भाव सारे कुसुम सम समर्पित किया ।
अब सजाओ इन्हें या कि बह जाने दो ।।10।।
अब जनाजा उठे मेरा कल या परों ।
जो भी चाहूँ मेरे मौला कर जाने दो ।।11।।
मेरे मौला, खुदा, मेरे ईश्वर सुनो ।
होश मुझको धराओ या मर जाने दो ।।12।।
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