06/09/2019

मुझे तुम छोड़ दोगी ये पता है



कभी कविता कभी हथियार जानाँ
हमीं से प्यार हमपे वार जानाँ

मुझे तुम छोड़ दोगी ये पता है
भले ही दिन लगें दो - चार जानाँ

खबर भी क्या पढ़ें आबो हवा की
बहुत झूठे लगें अखबार जानाँ

कही! क्या लिख रहे हो आजकल तुम ?
बहुत चुभते हैं ये अश्आर जानाँ

मुझे तुम छोड़ कर जब से गई हो
नहीं देखा कोई दरबार जानाँ

फ़कत खामोश लफ़्जों की बयानी
नहीं कुछ और मेरा प्यार जानाँ

बदलते लोग हैं हर रोज ऐसे
बदलती हो यहाँ सरकार जानाँ

नीलेन्द्र शुक्ल " नील "

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