16/04/2019

अंगारों पे चलता हूँ मैं

Neel, Kavya Moti, Harsh Bhai
बंजारों सा बढ़ता हूँ मैं 
अंगारों पे चलता हूँ मैं 

किन लोगों से डरना यारों 
सरकारों से लड़ता हूँ मैं 

टकराता हूँ चट्टानों से 
कब डरता हूँ परिणामों से 
जो भी होगा सब निश्चित है 
जो डरता है वो ही चित है 

सब सोंच - सोंच रुक जाते हैं 
आगे भविष्य गढ़ता हूँ मैं 

दीवानों सा पागलपन है 
सपनों में ही रहता मन है 
पथरीली राहों पर दौड़ू 
सबका सब मैं अपना कर लूँ 
देखे मैंने उल्लास बहुत 
देखे मैंने मधुमास बहुत 

अब खुद को भी मैं देख सकूँ 
इसलिए शिखर चढ़ता हूँ मैं 

डरना कैसा गद्दारों से 
क्या प्यार करूँ दीवारों से 
मन में जिसका भी कलरव है 
जीवन में सबकुछ संभव है 
खुद को जिसमें खुश पाओगे 
जैसा सोंचे बन जाओगे 

दूजों को पढ़ता नहीं कभी 
अक्सर खुद को पढ़ता हूँ मैं 

बंजारों सा बढ़ता हूँ मैं 
अंगारों पे चलता हूँ मैं 

किन लोगों से डरना यारों 
सरकारों से लड़ता हूँ मैं

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