12/03/2019

काहे भउजी दुबरानि अहा



काहे भउजी दुबरानि अहा 

बाबा - आजी घर से बाहर 
मम्मी - पापा के नंबर है 
न जाने  ई जुग कउन आय 
नीचे आवत अब अम्बर है 
जब से यैह घर मा आय गयू 
तब से नखरा तगड़ा होय गा 
भाइन मा अलगा बाँटी भै 
पूरे घर मा झगड़ा होइ गा 
हम रोय रहिन ई दशा देख 
अपने घर के दुर्दशा देख 

हम सोंचे तू अच्छी बाट्यू 
लेकिन तू तौ शैतानि अहा 

मंतर तू कउन चलाय दिहू 
भइया हमरे अन्जान अहैं 
जब से वै पाय गये तोहका 
तब से ओनहू पगलान अहैं 
जीवन खुशहाल रहा सबके 
अब देखा यही खिन्न होइगा 
बाबू पापा दादा चाचा के 
सपना छिन्न - भिन्न होइगा 
ना जाने श्राप कहाँ मिलिगा 
आचरण कबो न शुद्ध भवा 
मम्मिउ तौ कबो पतोह रहीं 
उनसे तौ नाही जुद्ध भवा 

तू सुधर गई होत्यू लेकिन 
भइया के तू भगवानि अहा

घर चाय - समोसा चलत रहै
पिच्चर पै पिच्चर चलत रहै
घुस के कमरा मा बैठि अहा
काहे एतना तू ऐंठि अहा
तू कामचोर एक नंबर के
बोलत बाट्यू ठण्डी बाटै
भइया तौ अहैं गुलामी मा
उनसे हरकी झण्डी बाटै
लबराय गये भइया हमरे
दिनभर कोठरी मा घुसा रहैं
आँखी मा सरम नहीं रहिगै
मेहरी संग बेड पै परा रहैं

जीवन भर साथ रहै का है
काहे एतना मेहरानि अहा

पापा तौ बहुत बखानें पर
बिटिया न वह लायक निकरी
दस बजे उठैं गुंगुआत रहैं
वै बाथरूम गायक निकरीं
एकौ गुण अबै देखान नहीं
भइया एतनी चोबर बाटीं
मम्मी बोलीं गुणवानि अहैं
लेकिन यै गुणगोबर बाटीं
हमरेव सपूत बेशर्म अहैं
पापा दुवरा पै आय कहिन
मम्मी से कहत - कहत पापा
आँखी से लोर बहाय दिहिन

केहू कुछ बोलत नहीं अहै
यह बरे बड़ी लहरानि अहा

बाबा जब से यह देखे हैं
तब से एकदम गुस्सान अहैं
भइया - भउजी का डाट दिहिन
बोलें घर के कुछ शानि अहै
भउजी का डाट पची नाही
कुछ बोल परी उल्टा - सीधा
गुस्सा से चेहरा लाल भवा
एतना ज्यादा ई मन खीझा
लेकिन खुद का हम शांत कीन
खुद का ओहसे अंजान कीन
लेकिन पापा से नहीं रहा
पापा दुई थप्पण दै बैठें
घर मा दिनभर हुड़दंग मचा
भइया घूमें ऐठें - ऐठें

केवल ई तौ शुरुआत आय
अबहीं से तू घबरानि अहा

दूसरे दिन सब सामान लिहिन
घरवाली संग ससुराल गये
सारा पइसा खाली होइगा
सारी - सरहज संग मॉल गये
बीबी जेतना आदेश करैं
उतनै भइया कइ पावत थीं
बस एक इशारा कॉफी है
वै दौड़े - दौड़े आवथीं
जैसे कुछ हप्ता बीत नहीं
मम्मी घर पै रोवै लागीं
बड़का बेटवा न बात करिस
वै सारी रात रहीं जागी
जैसे मोबाइल हाँथ लाग
झट से वै फोन मिलाय दिहीं
बिन गलती के मॉफी माँगी
आपन सब दुखड़ा गाय दिहीं

मम्मिउ के बात नहीं मानें
तू उनके गीता - ज्ञानि अहा

काहे भउजी दुबरानि अहा


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