मेरी ज़िन्दगी में तुम , कुछ यूँ आओ
कि मेरी सुब्ह - शाम हो जाए
कि मेरे दिन - रात हो जाएँ
मैं भीगूँ बाँहों में तेरी
कि यूँ बरसात हो जाए
हो जाए ऽऽऽ , हो जाए ऽऽऽ
मेरी ज़िन्दगी में तुम , कुछ यूँ आओ
तेरा चेहरा दिखे हर पल
तेरे संग आज़ गुज़रें कल
तेरी परछाईं बन घूमूँ
तुम्हें चाहूँ , तुम्हें पूजूँ
मैं पूजूँ ऽऽऽ, मैं पूजूँ ऽऽऽ
so now it is not complete when i'll complete it then i'll remove this particular line .....
Thank You .
कि मेरी सुब्ह - शाम हो जाए
कि मेरे दिन - रात हो जाएँ
मैं भीगूँ बाँहों में तेरी
कि यूँ बरसात हो जाए
हो जाए ऽऽऽ , हो जाए ऽऽऽ
मेरी ज़िन्दगी में तुम , कुछ यूँ आओ
तेरा चेहरा दिखे हर पल
तेरे संग आज़ गुज़रें कल
तेरी परछाईं बन घूमूँ
तुम्हें चाहूँ , तुम्हें पूजूँ
मैं पूजूँ ऽऽऽ, मैं पूजूँ ऽऽऽ
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