11/09/2017

तू चली आ , तू चली आ , तू चली आ अब यहाँ ( गज़ल )

बस तुम्हारे लिए...........

मैं अधूरे ख़्वाब लेकर के बता जाऊँ कहाँ
तू चली आ , तू चली आ , तू चली आ अब यहाँ - 2

मैं कहूँ कैसे तुम्हारी आरज़ू हमको नही
चाहता हूँ मैं तुम्हें तुमसे बग़ावत है नही
किस कदर तुमसे कहूँ अपने दिलों की दास्ताँ ।। तू चली आ ....

छुप - छुपा कर देखता तुझको शज़र की छाँव में
डूब जाता हूँ मैं अक्सर उस शहर ,उस गाँव में
हैं तेरी यादें यहाँ करती मेरे मौसम जवाँ ।। तू चली आ ....

आज हो जैसे युँ ही रहना सदा तुम उम्रभर
ज़िन्दगी आसान होगी कट सकेगा ये सफर
साथ ग़र देती रही बनता रहेगा आशियाँ ।। तू चली आ ....

याद हैं मुझको तेरे चेहरे की वो ख़ामोशियाँ
तू सदा करती रही नज़रों से ही लफ़्ज़े - बयाँ
वो घड़ी , वो पल कटे कैसे हमारे दरमियाँ ऽऽऽ  ।। तू चली आ .....

भावनाओं की नदी में डूबकर हूँ सीखता
मैं घने - बादल तले अक्सर तेरे संग भीगता
यूँ गिराया ना करो ज़ुल्फों से काली बिजलियाँ ।।

तू चली आ , तू चली आ , तू चली आ अब यहाँ

मैं अधूरे ख़्वाब लेकर के बता जाऊँ कहाँ
तू चली आ , तू चली आ , तू चली आ अब यहाँ ।।

16 comments:

Unknown said...

वाह वाह बहुत ही खूबसूरत ढंग से कहा है भईया जी 🌹🌹🌹🌹
Miss you brother Neel

अपर्णा वाजपेयी said...

लाज़वाब गज़ल.सुंदर एहसासों को पिरोया है आपने.

अमित जैन 'मौलिक' said...

भावनाओं की नदी में डूबकर हूँ सीखता
मैं घने - बादल तले अक्सर तेरे संग भीगता
यूँ गिराया ना करो ज़ुल्फों से काली बिजलियाँ ।।

बहुत ही सुंदर। बहुत स्वर में आप मित्र। ख़ूब शुभेक्षायें।

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब ... दिल के जज्बात बाखूबी लिखे हैं ...

Sudha Devrani said...

वाह!!!
लाजवाब....

'एकलव्य' said...

बहुत सुन्दर रचना ,आभार "एकलव्य"

Unknown said...

bahot khub bhai

pushpendra dwivedi said...

वाह बहुत खूब बेहतरीन रचना

Poetry With Neel said...

आप सभी का मैं आभारी हूँ आपने अपना कीमती समय निकाल कर मेरी रचना पढ़ी , सकारात्मक टिप्पणी की और अपना प्यार दिया अतः आप सभी का मैं शुक्रगुज़ार हूँ ।।
शुक्रिया दोस्तों !

Unknown said...

हृदयोद्गार हृदयाह्लादक हैं !!!बहुत खूब !!!!
इसकी गेयता इसके सौन्दर्य को और बढा़ रही है !!!जय जय
शुभकामनाएँ और बधाई !!!

Sudhanshu Tiwari said...

Aapke ek se ek shandar kavitaon ke baad mujhe aapke dwara rachit guzal padhane ka mouka mila..... Bahut behtarin rachana hai ... Iske liye main aapko aneko baar badhai dena chahta hu or aapko dhanyawad dena chahta hu ki mujhe padhane ka mouka mila ... Aage bhi aapki isi tarah or behtarin rachanaye aayengi isi aasha ke sath meri bhagwan se prarthana hai ki aap par apni kripa hamesha banaye rakhe... God Bless You Neelendra bhaiya ������

Anonymous said...

बहुत सुन्दर.

durgesh pandey said...

Aapki kvitayen kvikrmk pratibhaon se ot- prot rhti h, ye hi naxt generation ko guide krengi

Unknown said...

Dil ko jhkjhorne wali panktiyan bhai

Unknown said...

Shandaar bhai..

Shivarchit said...

बेहतरीन मित्र।।।।।।
ला नही बेजवाब हूँ मैं

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