जन्मदिन के इस सुअवसर पे तुम्हें अर्पण करूँ क्या
देख लो मेरे हृदय को भावना दर्पण करूँ क्या
पूँछता हूँ मैं अकिंचन आज अपने यार से
बाँट दूँ यह विश्व सारा या समेटूँ प्यार से
शब्द हैं, कुछ अर्थ हैं, कुछ भावनाओं के कुसुम
ला बिछाऊँ आज मैं पैरों तले गुलजार से
बौर की देखो छटा है माह ये ऋतुराज का
दिव्य - मेधा हो प्रभा आलोक हो गणराज का
जिन्दगी सारी खुशी दे जो तुम्हें मंजूर हो
और सारे कष्ट जो भी हैं या हों वो दूर हों
राष्ट्र में हो कीर्ति तेरी राष्ट्र यह वंदन करे
राष्ट्र पे हो तू निछावर राष्ट्र अभिनन्दन करे ।
भावना की बूँद हैं इससे अधिक वर्षण करूँ क्या ।।
देख लो मेरे हृदय को भावना दर्पण करूँ क्या
पूँछता हूँ मैं अकिंचन आज अपने यार से
बाँट दूँ यह विश्व सारा या समेटूँ प्यार से
शब्द हैं, कुछ अर्थ हैं, कुछ भावनाओं के कुसुम
ला बिछाऊँ आज मैं पैरों तले गुलजार से
बौर की देखो छटा है माह ये ऋतुराज का
दिव्य - मेधा हो प्रभा आलोक हो गणराज का
जिन्दगी सारी खुशी दे जो तुम्हें मंजूर हो
और सारे कष्ट जो भी हैं या हों वो दूर हों
राष्ट्र में हो कीर्ति तेरी राष्ट्र यह वंदन करे
राष्ट्र पे हो तू निछावर राष्ट्र अभिनन्दन करे ।
भावना की बूँद हैं इससे अधिक वर्षण करूँ क्या ।।
1 comment:
Atyant sundar prastuti, Bhagwan Vishwanath aapko Chiranjivi evam swasth banaye rakhen aur Ma Sarswati aapke Mastishk evam kanth me sada prabhavshali rahen,Jisase ki aap jyada SE jyada Sahitya srijan krte rahen
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