दिखता माँ सा प्यार तुम्हारे चेहरे पर
कैसे खुद को रोक सकूँ ,मेरी दुनिया
लुट जाए सौ बार तुम्हारे चेहरे पर
छोटी बिंदिया माथे पर ऐसे सोहे
हों सोलह श्रृंगार तुम्हारे चेहरे पर
जब से होंठों ने होंठों को पाया है
तब से है त्यौहार तुम्हारे चेहरे पर
वर्णन करने में ये छह की छह ऋतुएँ
कम पड़ती सरकार तुम्हारे चेहरे पर
कान्हा बनकर घूँमूँ तेरी यादों में
दिखी राधिका चार तुम्हारे चेहरे पर
तेरी गोदी में माँ के आँचल का सुख
दिखता प्रेम अपार तुम्हारे चेहरे पर
जी करता है जन्मदिवस के अवसर पर
लिख दूँ सारा प्यार तुम्हारे चेहरे पर ।।
अपने जन्मदिन (19 जून) के अवसर पर तुम्हारे लिए
एक छोटी सी रचना इस उद्देश्य से कि मेरी
काल्पनिक दुनिया में हमेशा तुम इसी
तरह अपनी यादों के साथ मुझे सजाती रहना
इससे भी गम्भीर विचार देना,अपनी यादों से
लबरेज़ रखना कि हमेशा तरोताज़ा रहूँ मैं
तुम्हारी यादें ही तो हैं जो मुझे ताकत देती हैं
किसी भी कार्य को बेहद सलीके से करने में
तुम्हारा प्यार आकाश की तरह है जो मुझे
ढक रखा है ,तुम्हारी यादें सागर की लहरों की तरह हैं
जो मेरे हृदय को और झकझोरती हैं तरड़्गित करती हैं ।।
5 comments:
UN chehron ko dekh-dekh kr aap hajaron sal jiyen aur hme aisi kavitayen sunate rahen.
May God Bless and big life You
जीवेम शरदः शतम् मित्र
mujhe ye kavita padh ke samjh ni aa raha ki iski tarif kaise karu...kyuki jo bhi kahunga iski tarif me kam hi padega .... aapne bahut hi sundar rachna ki hai mitra ... bahut sundar... dhanyawad link bhejane ke liye ... jisase main is sundar rachana ko padh paya
बहुत ही सुन्दर....
Bahut sundae kvita padh Kat Mai dhany Ho gaya wahhhh Neelendra ji apne kya matritv jhalkaya hai MA ke Prem aur shradha ����������
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