अजनबी थे ,अजनबी हैं ,अजनबी ही रह गये
पास आए थे कभी जो अजनबी वो कह गये।
आज तक मेरे ह्रदय में वास करती हैं वही ,
किस समुन्दर की लहर में छोड़ हमको बह गये।
आज रोया हूँ बहुत आँखों से नदियाँ बह रही ,
जो दिए हैं जख़्म कि मलहम लगाते रह गये।
इबादत कर रहे थे ज़िन्दगी बर्बाद हो ,
और हम उनकी इबादत को सजाते रह गये।
फिर तकल्लुफ़ है उन्हें आखिर ये कैसी बात है ,
दे रहे थे गालियाँ हम गालियों को सह गये।
इतना हूँ बेसब्र मैं यादों में इक जीवन लिखूँ ,
यूँ हृदय में आए के बस वो हृदय में रह गये।
दिल समुन्दर, आँख दरिया हुश्न बेपरवाह था
वो लुटाते ही रहे मुझको लुटाते रह गये ।
पास आए थे कभी जो अजनबी वो कह गये।
आज तक मेरे ह्रदय में वास करती हैं वही ,
किस समुन्दर की लहर में छोड़ हमको बह गये।
आज रोया हूँ बहुत आँखों से नदियाँ बह रही ,
जो दिए हैं जख़्म कि मलहम लगाते रह गये।
इबादत कर रहे थे ज़िन्दगी बर्बाद हो ,
और हम उनकी इबादत को सजाते रह गये।
फिर तकल्लुफ़ है उन्हें आखिर ये कैसी बात है ,
दे रहे थे गालियाँ हम गालियों को सह गये।
इतना हूँ बेसब्र मैं यादों में इक जीवन लिखूँ ,
यूँ हृदय में आए के बस वो हृदय में रह गये।
दिल समुन्दर, आँख दरिया हुश्न बेपरवाह था
वो लुटाते ही रहे मुझको लुटाते रह गये ।
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