गीत गाता हूँ मैं,
गुनगुनाता हूँ मैं ।
एक तुमको हृदय में,
बसाता हूँ मैं ।।
तन ये अर्पित किया,
मन समर्पित किया ।
आत्मा की धरातल पे,
पाता हूँ मैं ।।
जीत लो ये जमीं,
जीत लो आसमाँ ।
पास आओ कि तुमको,
रिझाता हूँ मैं ।।
तुम हृदयस्पर्शिनी,
मेरी प्रियदर्शिनी ।
बातें तुमको ही सारी,
बताता हूँ मैं ।।
मेरी जीवनलहर,
मेरी आह्लादिनी ।
अपनी कविताएँ तुमपे,
बनाता हूँ मैं ।।
मुझको कुछ भी कहो,
अब सजा चाहे दो ।
हृदय की गति को अपने,
सुनाता हूँ मैं ।।
गुनगुनाता हूँ मैं ।
एक तुमको हृदय में,
बसाता हूँ मैं ।।
तन ये अर्पित किया,
मन समर्पित किया ।
आत्मा की धरातल पे,
पाता हूँ मैं ।।
जीत लो ये जमीं,
जीत लो आसमाँ ।
पास आओ कि तुमको,
रिझाता हूँ मैं ।।
तुम हृदयस्पर्शिनी,
मेरी प्रियदर्शिनी ।
बातें तुमको ही सारी,
बताता हूँ मैं ।।
मेरी जीवनलहर,
मेरी आह्लादिनी ।
अपनी कविताएँ तुमपे,
बनाता हूँ मैं ।।
मुझको कुछ भी कहो,
अब सजा चाहे दो ।
हृदय की गति को अपने,
सुनाता हूँ मैं ।।
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