तुम रहती जब सामने मेरे,
मैं तेरा छवि बन जाता हूँ ।
बातें करती जब प्यार भरी,
कविता तुम कवि बन जाता हूँ ।।1।।
दुःख दूर करो तुम पास रहो,
सुख दुःख में तुमको पाता हूँ ।
चलती जाओ तुम हाँथ पकड़,
कविता तुम कवि बन जाता हूँ ।।2।।
सरिता सी कल कल तुम करती,
मैं सुन्दर गीत सुनाता हूँ ।
तुम चित्त लगा सुनती जाओ,
कविता तुम कवि बन जाता हूँ ।।3।।
जीवन में जितनी कलियाँ थी,
सब छोड़ तुम्हे अपनाता हूँ ।
सारी दुनिया कर एक तरफ,
कविता तुम कवि बन जाता हूँ ।।4।।
तेरी दूरी जो है असह्य,
अभिशप्त मैं खुद को पाता हूँ ।
जब सबमें दिखने लगती हो,
कविता तुम कवि बन जाता हूँ ।।5।।
मैं तेरा छवि बन जाता हूँ ।
बातें करती जब प्यार भरी,
कविता तुम कवि बन जाता हूँ ।।1।।
दुःख दूर करो तुम पास रहो,
सुख दुःख में तुमको पाता हूँ ।
चलती जाओ तुम हाँथ पकड़,
कविता तुम कवि बन जाता हूँ ।।2।।
सरिता सी कल कल तुम करती,
मैं सुन्दर गीत सुनाता हूँ ।
तुम चित्त लगा सुनती जाओ,
कविता तुम कवि बन जाता हूँ ।।3।।
जीवन में जितनी कलियाँ थी,
सब छोड़ तुम्हे अपनाता हूँ ।
सारी दुनिया कर एक तरफ,
कविता तुम कवि बन जाता हूँ ।।4।।
तेरी दूरी जो है असह्य,
अभिशप्त मैं खुद को पाता हूँ ।
जब सबमें दिखने लगती हो,
कविता तुम कवि बन जाता हूँ ।।5।।
1 comment:
Jai Jai bahut uttam likhe Ho guru
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