● मन बन्जारा रे मन आवारा रे ●
_____________________
मन बन्जारा रे
मन आवारा रे
मन जीते जो जीत यहाँ पर
मन ही हारा रे
मन उड़ जाए है
मन जुड़ जाए है
मन के आगे बेबस है
ये दिल बेचारा रे
मन अन्धा है, मन बहरा है, मन है पागल रे
मन कायल है, मन पायल है, मन है घायल रे
सबके संग है, और अकेला
मन इकतारा रे
मन भरमाये, मन तड़पाये, मन है सौतन रे
मन समझाये, मन बहलाये, मन है जीवन रे
सबको उलझाये है, सबको करे इशारा रे
प्रेम सिखाये, त्याग सिखाये, नफरत भी दे, ज्ञान
मन जिसका निर्मल हो जाए दे जाए निर्वाण
तन रूपी बैसाखी का मन
एक सहारा रे
मन बच्चा है, मन कच्चा है, मन है सच्चा रे
मन गन्दा सोचे है लेकिन मन अच्छा है रे
मन ही अंधियारा जीवन का
मन उंजियारा रे
नीलेन्द्र शुक्ल " नील "
13/10/2019
No comments:
Post a Comment