खाला का घर नहीं है जो मन हुआ किया
देखे पसन्द करके उसको मना किया
क्या सोंचती होगी कि कहाँ कौन कमी है
इस दौलत - ए - नाचीज़ नें क्या - क्या करा दिया
खुद से हुई है नफ़रत उसको रुला दिया
कुछ दिन के लिए उसको ये सिलसिला दिया
तुम तो पढ़े लिखे हो फिर भी ये हाल है
घर ही मना न पाये तो क्या भला किया
मन कर रहा था उठ के तमाचा मैं खींच दूँ
कुछ सोच - समझकर के उनको विदा किया
तू है कहाँ छुपा हुआ ओ नील ! बेख़बर
उसका चराग़ उसने फिर से बुझा दिया
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