29/04/2019

देखे पसन्द करके उसको मना किया


खाला का घर नहीं है जो मन हुआ किया
देखे पसन्द करके उसको मना किया 

क्या सोंचती होगी कि कहाँ कौन कमी है 
इस दौलत - ए - नाचीज़ नें क्या - क्या करा दिया 

खुद से हुई है नफ़रत उसको रुला दिया 
कुछ दिन के लिए उसको ये सिलसिला दिया 

तुम तो पढ़े लिखे हो फिर भी ये हाल है 
घर ही मना न पाये तो क्या भला किया 

मन कर रहा था उठ के तमाचा मैं खींच दूँ 
कुछ सोच - समझकर के उनको विदा किया 

तू है कहाँ छुपा हुआ ओ नील ! बेख़बर 
उसका चराग़ उसने फिर से बुझा दिया  






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