Neel |
लोग ख़ुद को तबाह करते हैं
जानते हैं, गुनाह करते हैं
रात आती है चाँद तारों संग
रात को हम सियाह करते हैं
चाहता हूँ मैं बाख़ुदा जिसको
आज उससे निकाह करते हैं
घूमते हैं, बड़े नज़ाकत से
और हमपे निगाह करते हैं
ख़्वाहिश -ए - पूर्णिमा की है उनको
हम अमावस की चाह करते हैं
जुर्म के बाद था अदालत में
लोग फिर भी गवाह करते हैं
रात आती है चाँद तारों संग
रात को हम सियाह करते हैं
चाहता हूँ मैं बाख़ुदा जिसको
आज उससे निकाह करते हैं
घूमते हैं, बड़े नज़ाकत से
और हमपे निगाह करते हैं
ख़्वाहिश -ए - पूर्णिमा की है उनको
हम अमावस की चाह करते हैं
जुर्म के बाद था अदालत में
लोग फिर भी गवाह करते हैं
बोलता हूँ फ़िजूल ही यारों
लोग क्यूँ वाह वाह करते हैं
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