Happy Women's Day |
ना जाने दो अब और कहीं
गोदी में मैं महफूज़ हूँ माँ
बहना रक्षा की डोरी है
मैं उसका भइयादूज हूँ माँ
बचपन से लेकर आज तलक
तेरा आँचल मुझको भावे
तेरी गोदी में सर रखूँ
सो जाऊँ ऐसी नींद आवे
फिर क्या है जन्नत और स्वर्ग
फिर क्या मन्दिर क्या मस्जिद है
छोटा सा बच्चा बन जाऊँ
माँ, बस मेरी इतनी जिद है
मैं तेरा अपना बेटा हूँ
ना यादों का सन्दूक हूँ माँ
बहना मेरी परछाई सी
चलती रहती आगे पीछे
थोड़ा भी डाट लगाऊँ तो
वो देखे बस ऊपर नीचे
ना मुझसे आँख मिलाती वो
रोती अन्दर भग जाती वो
फिर हँसकर वो बाहर आती
कहती है भइया भूत बनो
शंकर, भोलेबाबा, काशी के
शुद्धरूप अवधूत बनो
वो मेरी रानी गुड़िया है
मैं उसका प्यारा भूत हूँ माँ
अब रही तुम्हारी बात प्रिये
तुम मेरे जीवनसाथी हो
मैं जलता हूँ गर दीपक सा
है प्यार तेल, तुम बाती हो
इतनी सुमधुर आवाज़ तेरी
लगती है माँ की लोरी सी
जितना मन ऊपर भेजो तुम
मैं पतंग और तुम डोरी सी
हम दोनों हैं इक दूजे के
वो कोयल है मैं कूक हूँ माँ
हम दोनों कर्म करें मिलकर
वो गोली मैं बन्दूक हूँ माँ
भारत में अपनापन देखो
शबरी का दिल - दर्पण देखो
वो राम, राम गर कहे गए
सीता का पावन - मन देखो
उर्मिला बेचारी कहाँ गई
पति से वियोग उसका भी था
लक्ष्मण भटकें वन - उपवन में
कैसा दुर्योग ये उसका था
लड़कर यमराज से ले आई
प्राणों को सत्यवती जाकर
विष पी डाला सब मीरा नें
कान्हा की भक्ति में खोकर
इनकी गौरव - गाथा सम्मुख
मैं शब्दों में दो टूक हूँ माँ
अब वर्तमान इस भारत के
बारे में अनुसंधान करें
रौशन भारत करने वाली
महिलाओं का कुछ ज्ञान करें
पूरी सेना को धूल चटाने
वाली लक्ष्मीबाई थी
कल्पना उड़ी तो आसमान से
मिलकर वापस आई थी
मस्तानी पद्मावती प्रेम की
अद्भुद अमिट कहानी थी
पद्मा थी पतिव्रता यारों
मस्तानी तो दीवानी थी
सानिया और पी.वी सिंधू
मैदानों में डट जाती हैं
भारत का ध्वजा - पताका ले
सबसे ऊपर लहराती हैं
बबिता, पी. टी. ऊषा नें
अपने लक्ष्यों पे बस ध्यान दिया
इसलिए हमारे भारत नें
महिलाओं का सम्मान किया
मैं सुनो इसी वंशज का हूँ
इसलिए तेरे अनुरूप हूँ माँ
भारत में अपनापन देखो
शबरी का दिल - दर्पण देखो
वो राम, राम गर कहे गए
सीता का पावन - मन देखो
उर्मिला बेचारी कहाँ गई
पति से वियोग उसका भी था
लक्ष्मण भटकें वन - उपवन में
कैसा दुर्योग ये उसका था
लड़कर यमराज से ले आई
प्राणों को सत्यवती जाकर
विष पी डाला सब मीरा नें
कान्हा की भक्ति में खोकर
इनकी गौरव - गाथा सम्मुख
मैं शब्दों में दो टूक हूँ माँ
अब वर्तमान इस भारत के
बारे में अनुसंधान करें
रौशन भारत करने वाली
महिलाओं का कुछ ज्ञान करें
पूरी सेना को धूल चटाने
वाली लक्ष्मीबाई थी
कल्पना उड़ी तो आसमान से
मिलकर वापस आई थी
मस्तानी पद्मावती प्रेम की
अद्भुद अमिट कहानी थी
पद्मा थी पतिव्रता यारों
मस्तानी तो दीवानी थी
सानिया और पी.वी सिंधू
मैदानों में डट जाती हैं
भारत का ध्वजा - पताका ले
सबसे ऊपर लहराती हैं
बबिता, पी. टी. ऊषा नें
अपने लक्ष्यों पे बस ध्यान दिया
इसलिए हमारे भारत नें
महिलाओं का सम्मान किया
मैं सुनो इसी वंशज का हूँ
इसलिए तेरे अनुरूप हूँ माँ
ना जाने दो अब और कहीं
गोदी में मैं महफूज़ हूँ माँ
बहना रक्षा की डोरी है
मैं उसका भइयादूज हूँ माँ
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