नीलेन्द्र शुक्ल " नील " |
तुम मेरा नाम लेके न बैठो मैं तो बेवक्त का मुसाफिर हूँ
खुद को बदनाम करके न बैठो मैं तो बेवक्त का मुसाफिर हूँ
मुझे समझो, मुझे जानो, मुझे देखो, पहचानो
मेरी यादें, मेरी बातें, मेरी साँसें, मेरी रातें
मुझे भुला दो, मैं प्रेमी नही, मैं काफिर हूँ
तुम मेरा नाम लेके न बैठो मैं तो बेवक्त का मुसाफिर हूँ
खुद को बदनाम करके न बैठो मैं तो बेवक्त का मुसाफिर हूँ
मेरी निगाहें तुम्हें आवाज़ देती हैं
तेरी दुवाएँ नये परवाज़ देती हैं
उड़ता पंक्षी हूँ मैं पहला, और आखिर हूँ
तुम मेरा नाम लेके न बैठो मैं बेवक्त का मुसाफिर हूँ
खुद को बदनाम करके न बैठो मैं तो बेवक्त का मुसाफिर हूँ
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