एक निर्णय ले लिए फिर क्या फ़रक पड़ता खुदा
या तो जन्नत राह होगी या तो दोजख का सफर
जिन्दगी को आग की दरिया पे है रखना मुझे
या तो मेरी मौत होगी या रहूँगा मैं अमर
हर कदम पे ले रहे हैं वो परीक्षाएँ मेरी
तुम कहो ! मैं इश्क़ कह दूँ या कहूँ इसको समर
चाँद देखो छिप गया है सूर्य दीवाना सा है
मेरा क्या होगा बताओ आज तुम आई अगर
जो हमेशा दिल की बातें सोंचता, सुनता रहा
आ गया जाने कहाँ से बुद्धिमानों के शहर
चाँद से ऊपर पहुँच कर सूर्य पर रख दूँ कदम
मेरे सारे ख़्वाब जो सजकर बिखर जाएँ इधर
अपनी भी कुछ ख्वाहिशें हैं अपने भी कुछ स्वप्न हैं
छोड़कर इनको बताओ आप ही जाऊँ किधर
2 comments:
बढ़िया है
Vrey nice
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