है यहाँ रहना तुम्हें तो गीत गाना सीख लो
ढाई आखर शब्द बोलो मुस्कुराना सीख लो
मैं नही कहता कि तुम परतंत्र हो निष्पन्द हो
किस कदर चलना तुम्हें जम्हूरियत से सीख लो
वो यहाँ जिस राह भेजें शान्त हो यूँ चल पड़ो
हाँथ में लेलो कटोरा और उनसे भीख लो
चल रहे हँथियार हों तो कष्ट तुम सहते रहो
जिन्दगी भर जख़्म खाओ दर्द हो जब चीख लो
चमड़ियाँ पहले भी उधड़ी आज भी आलम वही
थूँकने की चाह जब हो हाँथ में ही पीक लो
ख़त्म कर दे रूढ़ियाँ सब इस भरे संसार से
बुद्धि का कौशल दिखाओ साथ सारे मीत लो
और अब इंसानियत की है कहाँ कद्र-ए-हुज़ूर
बेड़ियाँ सब त्यागकर अब सर उठाना सीख लो
यह प्रकृति,यह भोग,वैभव शान्त यह वातावरण
यह धरा पूरी तुम्हारी इस धरा को जीत लो
ढाई आखर शब्द बोलो मुस्कुराना सीख लो
मैं नही कहता कि तुम परतंत्र हो निष्पन्द हो
किस कदर चलना तुम्हें जम्हूरियत से सीख लो
वो यहाँ जिस राह भेजें शान्त हो यूँ चल पड़ो
हाँथ में लेलो कटोरा और उनसे भीख लो
चल रहे हँथियार हों तो कष्ट तुम सहते रहो
जिन्दगी भर जख़्म खाओ दर्द हो जब चीख लो
चमड़ियाँ पहले भी उधड़ी आज भी आलम वही
थूँकने की चाह जब हो हाँथ में ही पीक लो
ख़त्म कर दे रूढ़ियाँ सब इस भरे संसार से
बुद्धि का कौशल दिखाओ साथ सारे मीत लो
और अब इंसानियत की है कहाँ कद्र-ए-हुज़ूर
बेड़ियाँ सब त्यागकर अब सर उठाना सीख लो
यह प्रकृति,यह भोग,वैभव शान्त यह वातावरण
यह धरा पूरी तुम्हारी इस धरा को जीत लो
2 comments:
बेहतरीन।।।।
Behatrin aur Rashtriyata SE full
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